चुई की पहाड़ी पर उमड़ा जनसैलाब, आदिवासियों ने परंपरा से जाना मौसम का हाल

शेयर करे

झाबुआ | नावेद रज़ा

आधुनिक युग में जहां मौसम का पूर्वानुमान सैटेलाइट और तकनीक से लगाया जाता है, वहीं झाबुआ जिले के राणापुर क्षेत्र की चुई की पहाड़ी पर आज भी सदियों पुरानी परंपरा कायम है। यहां हजारों की संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग जुटे और आने वाले वर्ष के मौसम व फसलों का हाल जानने की पारंपरिक प्रक्रिया पूरी की।

हर वर्ष दीपावली के बाद यहां बाबा देव की पड़ (पहाड़ी) पर भैंसे की बलि दी जाती है। पूजा-अर्चना के बाद भैंसे के धड़ को लुढ़काया जाता है। उसके लुढ़कने की दिशा और दूरी से आने वाले वर्ष की बरसात व फसल का अनुमान लगाया जाता है।

इस वर्ष (2025) हुए आयोजन में यह संकेत मिला कि आगामी वर्ष 2026 में अच्छी बारिश होगी, धरती हरी-भरी रहेगी और फसलें लहलहाएंगी। स्थानीय बुजुर्गों ने बताया कि “इस बार जेठ, भादर और हरावन के महीनों में अच्छा पानी गिरेगा, जिससे खेती अच्छी होगी।”

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीण, किसान और युवा शामिल हुए। इस अवसर पर झाबुआ विधायक डॉ. विक्रांत भूरिया और भाजपा जिला अध्यक्ष भानु भूरिया भी उपस्थित रहे। दोनों ने इसे आदिवासी संस्कृति की सजीव परंपरा बताया और कहा कि “सैटेलाइट युग में भी यह परंपरा सटीक साबित होती आई है।”

इस आयोजन में महिलाएं पहाड़ी पर नहीं चढ़तीं, क्योंकि बाबा देव को कुंवारा देवता माना जाता है। महिलाएं नीचे से ही इस आयोजन को देखती हैं।

कार्यक्रम को लेकर पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। पुलिस बल की तैनाती के साथ पार्किंग और भीड़ प्रबंधन की व्यवस्था की गई थी।