कसरावद, 03 दिसम्बर 2025।
संवाददाता: अनीस खान
कसरावद क्षेत्र के ग्राम एक्कलधारिया में चल रही श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव एवं 108 कुण्डीय श्री सीताराम महायज्ञ के तीसरे दिन अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक देवी हेमलता शास्त्री (श्रीधाम वृंदावन) ने अपने प्रवचन में कहा कि व्यक्ति का मान-सम्मान उसके पद या गद्दी से नहीं, बल्कि उसके आचरण, त्याग और तप से होता है।
मन को मित्र बनाना ही सबसे बड़ी साधना
शास्त्री जी ने कहा कि कथा सुनना और महायज्ञ में सहभागी बनना अत्यंत पुण्य और सौभाग्य का अवसर है, जो पूर्व जन्मों के शुभ कर्मों से प्राप्त होता है। उन्होंने मन को जीवन का सबसे चंचल तत्व बताया और कहा कि मन को मारना नहीं, बल्कि साधना चाहिए। मन को मित्र बनाना ही जीवन की सबसे बड़ी साधना है।
कथा के दौरान वामन भगवान का दिव्य आगमन हुआ, जहां उपस्थित श्रद्धालुओं ने दर्शन-पूजन कर उत्सव मनाया।
अच्छे विचार को आज ही करें पूरा
देवी हेमलता शास्त्री ने प्रेरक संदेश देते हुए कहा कि जो अच्छा विचार मन में आए उसे आज ही पूरा करें और बुरे विचार को कल पर छोड़ दें। उन्होंने बताया कि ज्ञान और भक्ति का उम्र से कोई संबंध नहीं है, इसके लिए बस मन की तैयारी आवश्यक है।




