बड़वानी, 21 दिसम्बर 2025।
अरावली पर्वत श्रृंखला के संरक्षण और आदिवासियों के अस्तित्व की रक्षा के लिए भीलीस्थान लायन सेना की बड़वानी जिला इकाई मुखर होकर सामने आई है। संगठन ने पुलिस थाना कोतवाली बड़वानी के माध्यम से देश के मुख्य न्यायाधीश और महामहिम राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा। इसमें अरावली की पहाड़ियों को लेकर दी गई वर्तमान परिभाषा पर सवाल उठाते हुए इसे तुरंत बदलने की मांग की गई है।
100 मीटर की परिभाषा से 91 प्रतिशत पहाड़ियां खतरे में
ज्ञापन में बताया गया है कि अरावली पर्वत श्रृंखला वर्तमान में एक गंभीर पर्यावरणीय संकट से जूझ रही है। इसका मुख्य कारण माननीय न्यायालय द्वारा अपनाई गई ‘100 मीटर वाली परिभाषा’ है, जिसके तहत केवल 100 मीटर से अधिक ऊँचाई वाली पहाड़ियों को ही अरावली का हिस्सा माना गया है। संगठन का दावा है कि इस तकनीकी परिभाषा के कारण राजस्थान में अरावली की लगभग 91 प्रतिशत पहाड़ियाँ कानूनी संरक्षण के दायरे से बाहर हो गई हैं।
आदिवासी समुदाय के विस्थापन और आजीविका का संकट
भीलीस्थान लायन सेना ने चिंता जताई है कि पहाड़ियों को कानूनी संरक्षण से बाहर किए जाने के कारण आदिवासी समुदायों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। अरावली क्षेत्र में पीढ़ियों से निवास कर रहे लाखों आदिवासी परिवार अपनी आजीविका और संस्कृति के लिए प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हैं। संरक्षण हटने से यह क्षेत्र अब खनन माफियाओं के निशाने पर है, जिससे स्थानीय लोगों का विस्थापन शुरू हो गया है और उनके पारंपरिक अधिकार छीने जा रहे हैं।
पर्यावरण और भविष्य की सुरक्षा पर असर
संगठन के अनुसार, अरावली को उत्तर भारत का ‘फेफड़ा’ माना जाता है। निचली पहाड़ियों और वन क्षेत्रों में हो रहे अवैध खनन से दुर्लभ पशु-पक्षियों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं। यह पर्वत श्रृंखला मरुस्थलीकरण को रोकने और मानसून को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाती है। इसका विनाश भविष्य में भीषण जल संकट और वायु प्रदूषण का कारण बनेगा।
संगठन की प्रमुख मांगें
भीलीस्थान लायन सेना के बड़वानी नगर अध्यक्ष श्री राकेश मंडलोई ने कहा कि अरावली का संरक्षण केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह लाखों आदिवासियों के जीवन और भारत की जल-सुरक्षा से जुड़ा विषय है। संगठन ने मांग की है कि:
- 100 मीटर की ऊँचाई की शर्त को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए।
- संपूर्ण अरावली क्षेत्र, जिसमें छोटी पहाड़ियाँ और वन क्षेत्र भी शामिल हैं, को फिर से कानूनी रूप से संरक्षित घोषित किया जाए।
- अवैध खनन पर पूर्ण रोक लगाकर स्थानीय समुदायों और वन्यजीवों की रक्षा सुनिश्चित की जाए।
इस अवसर पर नगर उपाध्यक्ष लकी जाधव, नगर महामंत्री पंकेश भूरिया, नगर सह सचिव अर्जुन परमार, रितेश नवलपुरा, रवि, विकास राठौर, लक्ष्मण बामणिया, रोहित, चंदन चौहान और नीलेश सोलंकी सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे।




