बड़वानी, 22 दिसम्बर 2025।
आदिवासी संस्कृति की अस्मिता और रूढ़िगत परंपराओं के संरक्षण को लेकर जयस (जय आदिवासी युवा शक्ति) संगठन ने कड़ा रुख अपनाया है। सोमवार को बड़वानी जिला मुख्यालय पर कलेक्टर कार्यालय पहुँचकर जयस कार्यकर्ताओं ने राजपुर तहसील के ग्राम मटली में आयोजित होने वाले तीन दिवसीय “इंदल उत्सव” के विरुद्ध महामहिम राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा। संगठन का आरोप है कि यह आयोजन एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत आदिवासी परंपराओं के विरुद्ध किया जा रहा है।
इंदल पूजा और बाहरी हस्तक्षेप पर सवाल
जयस संस्थापक विक्रम अच्छालिया ने ज्ञापन के माध्यम से स्पष्ट किया कि इंदल देव भील और बारेला आदिवासी समुदाय के परम आराध्य देवता हैं। उनकी पूजा विशुद्ध रूप से प्रकृति और पुरखा परंपराओं पर आधारित है। उन्होंने बताया कि इंदल कोई वार्षिक उत्सव नहीं है, बल्कि मन्नत पूरी होने पर 5 से 11 वर्षों के अंतराल पर ग्राम पटेल और बुजुर्गों की सहमति से की जाने वाली एक विशेष पूजा है।
अच्छालिया ने आरोप लगाया कि पारंपरिक रूप से इंदल देव की कोई मूर्ति नहीं होती, लेकिन बाहरी तत्वों द्वारा यहाँ मूर्ति स्थापित कर इसे अन्य धर्मों का रूप देने का प्रयास किया जा रहा है। यह सीधे तौर पर आदिवासी पहचान को मिटाने और सांस्कृतिक अस्मिता के साथ कुठाराघात करने जैसा है।
पेसा कानून और संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन
संगठन का कहना है कि अनुसूचित क्षेत्रों में किसी भी धार्मिक या सांस्कृतिक गतिविधि के लिए पेसा अधिनियम-1996 के तहत ग्राम सभा की पूर्व सहमति अनिवार्य है। ग्राम मटली की ग्राम सभा द्वारा बार-बार विरोध जताने के बावजूद प्रशासनिक दबाव में इस आयोजन को बढ़ावा दिया जा रहा है। जयस के अनुसार, यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13(3), 244 और पांचवीं अनुसूची के प्रावधानों का खुला उल्लंघन है।
राज्यपाल से सख्त कार्रवाई की मांग
आदिवासी समाज और जयस संगठन ने महामहिम राज्यपाल से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग करते हुए निम्नलिखित बिंदु रखे हैं:
- मटली में गैर-परंपरागत तरीके से आयोजित किए जा रहे “इंदल उत्सव” पर तत्काल रोक लगाई जाए।
- आदिवासी परंपराओं के साथ छेड़छाड़ करने वाले बाहरी व्यक्तियों और दोषी अधिकारियों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज हो।
- मामले की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच कराकर आदिवासी संस्कृति की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
आंदोलन की चेतावनी
ज्ञापन सौंपने के दौरान सीमा वास्कले, निलेश चौहान, एडवोकेट अजय कन्नौजे, राजू पटेल, शिवानी रावत और राजाराम कनौजे सहित सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित रहे। समाज ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो पूरे जिले में बड़े स्तर पर उग्र आंदोलन किया जाएगा। ज्ञापन की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और संस्कृति विभाग को भी भेजी गई है।




