बड़वानी, 22 दिसम्बर 2025।
बड़वानी के समीपस्थ ग्राम तलून स्थित स्वामी मोहनानंद स्कूल में आयोजित वार्षिक उत्सव ‘अतुल्य भारत’ के दौरान ग्रामीण अंचल की प्रतिभाओं का अद्भुत संगम देखने को मिला। स्कूली बच्चों ने अपनी रंगारंग और वैचारिक प्रस्तुतियों से यह साबित कर दिया कि यदि सही मंच मिले तो ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थी भी किसी से कम नहीं हैं। कार्यक्रम की भव्यता ने न केवल अभिभावकों को मंत्रमुग्ध किया, बल्कि पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी रही।
देशभक्ति और सांस्कृतिक विविधता का संगम
समारोह का औपचारिक शुभारंभ मुख्य अतिथि एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रेमसिंह पटेल द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। इसके उपरांत छात्राओं ने सरस्वती वंदना और स्वागत गीत के माध्यम से कार्यक्रम में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया। नन्हे-मुन्ने बच्चों द्वारा प्रस्तुत फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता ने दर्शकों का मन मोह लिया, वहीं वरिष्ठ विद्यार्थियों ने देशभक्ति गीतों और विभिन्न राज्यों के लोक नृत्यों के जरिए भारत की सांस्कृतिक एकता का संदेश दिया।
’ऑपरेशन सिंदूर’ नाटिका ने छोड़ी अमिट छाप
कार्यक्रम का सबसे प्रभावशाली हिस्सा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर आधारित लघु नाटिका रही। सामाजिक कुरीतियों और ज्वलंत विषयों पर केंद्रित इस प्रस्तुति ने पांडाल में मौजूद हर व्यक्ति को भावुक कर दिया। विद्यार्थियों के सधे हुए अभिनय और प्रभावशाली संवादों पर दर्शकों ने तालियाँ बजाकर उत्साहवर्धन किया।
प्रतिभा निखारने का सशक्त माध्यम हैं ऐसे मंच
इस अवसर पर सांसद गजेंद्र सिंह पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि गाँव की मिट्टी में असीम प्रतिभा छिपी है, जिसे निखारने का कार्य ऐसे ही शैक्षणिक मंच करते हैं। उन्होंने बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा के साथ-साथ सांस्कृतिक गतिविधियों को अनिवार्य बताया। उत्सव के दौरान शैक्षणिक सत्र, खेलकूद और अनुशासन में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले मेधावी छात्र-छात्राओं को मेडल और प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
भविष्य की योजनाओं पर चर्चा
संस्था के चेयरमैन रामसागर मिश्रा ने विद्यालय की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट साझा की और आगामी लक्ष्यों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने सफल आयोजन के लिए समस्त ग्रामीणजनों, शिक्षकों और अभिभावकों के सहयोग के प्रति आभार व्यक्त किया। गरिमामय समारोह का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ। यह वार्षिक उत्सव इस बात का प्रतीक बना कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी शिक्षा और कला का समन्वय बच्चों के सुनहरे भविष्य की नींव रख रहा है।







