बड़वानी।
बड़वानी जिले के मक्का उत्पादक किसान इन दिनों अपनी फसल के उचित दाम न मिलने से गहरे संकट में हैं। जिले में बड़े पैमाने पर मक्का की खेती करने वाले किसान अब अपनी फसल को भी राज्य सरकार की भावांतर भुगतान योजना के दायरे में लाने की मांग कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि उन्हें मक्का का वर्तमान बाज़ार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से काफी कम मिल रहा है, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
बाज़ार भाव में बड़ा अंतर:
किसानों के अनुसार, सरकार ने मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) लगभग ₹2400 प्रति क्विंटल निर्धारित किया है, जबकि जिले की कृषि उपज मंडियों में उन्हें अपनी उपज के लिए केवल ₹1400 से ₹1500 प्रति क्विंटल का भाव मिल रहा है। यह अंतर लगभग ₹900 से ₹1000 प्रति क्विंटल का है, जो किसानों के लाभ को पूरी तरह से खत्म कर रहा है।
किसानों का दर्द:
कृषि उपज मंडी में अपनी उपज बेचने आए किसान राजेंद्र सिंह तोमर ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा, “मैंने तीन एकड़ खेत में मक्का लगाई थी। प्रति एकड़ करीब ₹30 हजार का खर्च आया है। पहले बेमौसम बारिश और फिर बाद में अतिवृष्टि के कारण इस साल औसत उत्पादन पहले ही कम रहने की आशंका है। जो दाम हमें मिल रहे हैं, उससे केवल हमारी मजदूरी और खर्च ही निकल पाएगा, लाभ कमाना तो दूर की बात है।”
किसानों का कहना है कि जिस तरह सोयाबीन को भावांतर योजना में शामिल किया गया है, उसी तरह मक्का पर भी यह योजना लागू होनी चाहिए ताकि MSP और बाज़ार भाव के अंतर की राशि उन्हें सरकार से मिल सके।
किसान संघ की चेतावनी:
इस मामले में भारतीय किसान संघ भी किसानों के समर्थन में उतर आया है। भारतीय किसान संघ के जिला मंत्री कमल तोमर ने मांग दोहराते हुए कहा कि मक्का का उत्पादन अच्छा होने की उम्मीद है और किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिलना ही चाहिए।
कमल तोमर ने शासन को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा, “यदि राज्य सरकार जल्द ही मक्का को भावांतर योजना में शामिल नहीं करती है और किसानों को MSP पर बेचने की व्यवस्था नहीं करती है, तो भारतीय किसान संघ बड़वानी जिले में किसानों के साथ मिलकर उग्र आंदोलन करेगा।”
किसानों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि उनकी मांग को तत्काल उच्च स्तर पर पहुंचाया जाए, ताकि अगली फसल कटाई से पहले भावांतर योजना की घोषणा हो सके और किसान राहत की सांस ले सकें।





