मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, इंदौर खंडपीठ द्वारा दिया गया महत्वपूर्ण आदेश — विस्थापितों के लिए राहत भरा कदम |

शेयर करे

बड़वानी | (आसिफ मेमन)

दिनांक 14 अक्टूबर 2025 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, इंदौर खंडपीठ ने मेधा पाटकर द्वारा दायर जनहित याचिका (WP No. 35006/2024) पर सुनवाई करते हुए एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है।
इस आदेश में कहा गया है कि राजेश राजोरा, अतिरिक्त मुख्य सचिव, मध्य प्रदेश शासन, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुए और उन्होंने यह स्वीकार किया कि सरदार सरोवर परियोजना के विस्थापितों को जो भूखंड आवंटन पत्र दिए गए थे, वे आज तक रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत नहीं हुए हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार ने समूचे मध्य प्रदेश की भूमि का सीमांकन, नामांतरण और पंजीयन करने के लिए एक व्यापक योजना तैयार की है, जिसमें विस्थापितों के मामलों को प्राथमिकता दी जाएगी। मा. राजोरा जी ने ड्रोन सर्वेक्षण पर जोर दिया जिस पर मेधा पाटकर जी ने सवाल उठाया|
इस पर न्यायालय ने कहा कि वे शासन के इस प्रस्ताव से प्रभावित नहीं हैं, क्योंकि साल 2002 से हजारों विस्थापितों को पुनर्वास नीति के तहत भूखंड दिए गए थे, परंतु इन आवंटन पत्रों को भारतीय पंजीयन अधिनियम 1908 की धारा 17 के तहत अब तक पंजीकृत नहीं किया गया है।
इस वजह से विस्थापितों को नामांतरण, सीमांकन, बँटवारा, गिरवी, विक्रय या किसी अन्य व्यक्ति के नाम हस्तांतरण जैसे अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं। यदि उनका आवंटन पत्र खो जाए या नष्ट हो जाए, तो नया पत्र प्राप्त करना भी अत्यंत कठिन होगा। इसलिए न्यायालय ने इस कार्य को प्राथमिकता से लेने का आदेश दिया है।
न्यायालय द्वारा दिए गए प्रमुख निर्देश:
1. बड़वानी, खरगोन, अलीराजपुर और धार जिलों के कलेक्टरों को निर्देश दिया गया है कि वे एक समिति गठित करें, जिसमें उप प्रभागीय अधिकारी (SDO), तहसीलदार और उप-पंजीयक (स्टाम्प्स) सदस्य होंगे।
2. यह समिति उन सभी विस्थापितों (या उनके वारिसों) के नाम पर भूमि का पंजीयन (रजिस्ट्रेशन) करेगी, जिनके पक्ष में आवंटन या विक्रय पत्र जारी हुए हैं।
• इसके बाद उनके नाम राजस्व अभिलेखों व नक्शों में दर्ज किए जाएंगे।
• तत्पश्चात संबंधित ग्राम पंचायत या नगर पालिका अपने अभिलेखों में नाम दर्ज करेगी।
3. नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (NVDA) और नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (NCA) एक सक्षम अधिकारी नियुक्त करें, जो कलेक्टर द्वारा गठित समिति के सदस्य होंगे।
भूमि के पंजीयन दस्तावेज़ में क्षेत्रफल, नापती, सीमाएं, और दिशाएँ जैसी सभी जानकारियां शामिल की जाएंगी, ताकि भविष्य में कोई राजस्व संबंधी या नागरिक विवाद उत्पन्न न हो।
इन कार्यों के लिए जिला मुख्यालय पर प्राथमिकता से एक विशेष शिविर आयोजित किया जाएगा।
इस पूरे कार्य के अनुपालन की प्राथमिक जिम्मेदारी श्री राजेश राजोरा, अतिरिक्त मुख्य सचिव की होगी।
4. मेधा पाटकर जी को निर्देशित किया गया है कि वे विस्थापितों और समितियों के बीच समन्वय स्थापित करें, ताकि कार्य प्रभावी और समयबद्ध रूप से पूरा हो सके।
5. न्यायालय ने इस पूरे पंजीयन कार्य को पूरा करने के लिए 2 महीने की समयसीमा निर्धारित की है। इसके बाद विस्थापितों को आवंटित करने के भूखंडों के संबंधी अधिकार के अन्य मुद्दों पर जो याचिका में प्रस्तुत किये है, उन पर भी सुनवाई और निर्णय होगा।
6. चारों जिलों — बड़वानी, खरगोन, अलीराजपुर और धार — के कलेक्टरों को यह आदेश दिया गया है कि वे अगली सुनवाई की तारीख (05 जनवरी 2026) पर इन निर्देशों के अनुपालन पर प्रतिवेदन (रिपोर्ट) प्रस्तुत करें।
यह आदेश न्या. विवेक रूसिया और न्या. बिनोदकुमार द्विवेदी जी की खंडपीठ ने दिया| यह उन हजारों विस्थापित परिवारों के लिए एक विशेष महत्वपूर्ण राहत है, जो पिछले दो दशकों से अपने भूखंडों पर अधिकारों के लिए संघर्षरत थे। अब यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह न्यायालय के निर्देशों का पूर्ण पालन सुनिश्चित करे, ताकि हर विस्थापित को उसका भूखंड, जिस पर मकान बने हुए है  या रिक्त है, वास्तविक भूमि स्वामित्व अधिकार प्राप्त हो सके।
*- नर्मदा बचाओ आंदोलन*
*राहुल यादव*
संपर्क – *9179617513*