अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (R-Infra) पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है. मंगलवार को ईडी ने मुंबई से लेकर इंदौर तक छह जगहों पर छापेमारी की. ये कार्रवाई विदेशी मुद्रा विनिमय प्रबंधन अधिनियम (FEMA) के तहत चल रही जांच का हिस्सा है, जिसमें कंपनी पर विदेशों में अवैध धन प्रेषण के आरोप लगे हैं.
मामला क्या है?
ईडी पहले से ही धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत रिलायंस इंफ्रा और समूह की अन्य कंपनियों में 17,000 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण डायवर्जन की जांच कर रही है.
सेबी की एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि R-Infra ने CLE नामक कंपनी के जरिए रिलायंस समूह की अन्य कंपनियों में इंटर-कॉर्पोरेट डिपॉजिट (ICD) के रूप में धन का उपयोग किया.
आरोप है कि कंपनी ने CLE को “संबंधित पक्ष” के रूप में प्रकट नहीं किया ताकि शेयरधारकों और ऑडिट पैनल की मंजूरी से बचा जा सके.
कंपनी का बचाव
रिलायंस समूह ने इन आरोपों को खारिज किया है. कंपनी का कहना है कि:
लगभग 10,000 करोड़ रुपये का मामला करीब 10 साल पुराना है.
कंपनी का वास्तविक जोखिम केवल 6,500 करोड़ रुपये था, जिसे उसने अपने वित्तीय विवरणों में पहले ही सार्वजनिक किया था.
इस मामले का खुलासा कंपनी ने 9 फरवरी 2025 को किया था.
R-Infra का दावा है कि वह इस पूरे जोखिम की वसूली के लिए अनिवार्य मध्यस्थता कार्यवाही और बॉम्बे हाई कोर्ट में दाखिल याचिका के जरिए समझौते पर पहुंच चुकी है.
अनिल अंबानी की स्थिति
कंपनी ने साफ किया है कि अनिल अंबानी मार्च 2022 से R-Infra के बोर्ड में शामिल नहीं हैं और तीन साल से अधिक समय से उनकी कोई सीधी भूमिका नहीं है. कुल मिलाकर, ईडी की इस कार्रवाई ने रिलायंस इंफ्रा पर दबाव बढ़ा दिया है. आने वाले समय में जांच से कंपनी और अनिल अंबानी समूह की मुश्किलें और गहरा सकती हैं.



