बड़वानी।
दिगंबर जैन मंदिर में आज परम उत्कृष्ट समाधि धारक पूज्य राष्ट्र संत गणाचार्य विराग सागर जी महाराज की शिष्या, श्रमणि विदुषी आर्यिका मां विकुंदन श्री माताजी ने धर्म सभा को संबोधित किया। माताजी ने अपने प्रवचन में जीवन में प्रेम और मोह के अंतर को स्पष्ट किया तथा जैन शास्त्रों के महत्व पर प्रकाश डाला।
💬 प्रवचन के मुख्य बिंदु:
- प्रेम और मोह: माताजी ने पंडित जुगल किशोर जी के कथन (“फैले प्रेम परस्पर जग में, मोह दूर ही रहा करे”) का उदाहरण देते हुए कहा कि प्रेम अलग चीज है और मोह अलग। मोह संसारी प्राणी से जोड़कर भव-भव भ्रमण करवाएगा, जबकि पूज्य पुरुषों से अनुराग (राग) रखने पर वीतराग के मार्ग को प्रशस्त किया जा सकता है।
- अपेक्षा और उपेक्षा: उन्होंने कहा कि आज हर रिश्ते में अपेक्षा (स्वार्थ) है, वात्सल्य नहीं। “जहाँ अपेक्षा है, वहाँ उपेक्षा निश्चित है।” अपेक्षा करना छोड़ने पर ही सुख और शांति की अनुभूति होगी।
- कीमती मनुष्य पर्याय: आर्यिका माताजी ने कहा कि हम इंद्रियों के वशीभूत होकर अपनी तृष्णा को छोड़ नहीं पाते और कीमती मनुष्य पर्याय के समय को समझ नहीं पाए।
- रामचंद्र जी का उदाहरण: उन्होंने बताया कि भगवान रामचंद्र जी ने वनवास के 14 वर्ष में अपनी वाणी के प्रभाव से जंगल में रहने वाले लोगों को अपना परिवार बनाया और रावण से विजय प्राप्त की।
- जिन धर्म का महत्व: “जीनागम के शास्त्रों का एक-एक शब्द ज्ञान की खान है।” उन्होंने श्रद्धालुओं से शास्त्रों को समय निकालकर पढ़ने, गुणों को ग्रहण करने और नकारात्मकता को बाहर निकालने का आह्वान किया।
- संयम और आपदाएँ: माताजी ने संयम का पालन करने और अब्रह्म से बचने की सलाह दी, क्योंकि एक बार के अब्रह्म से 9 लाख जीवों का घात होता है। उन्होंने कहा कि संसार में आसक्ति बढ़ने के कारण ही आंधी, तूफान, अतिवृष्टि जैसी आपदाएं बढ़ रही हैं।
🏆 बड़वानी की महिलाओं को ‘वीर श्राविका सम्मान’
अंत में, राष्ट्रीय जैन एकता मंच द्वारा भगवान महावीर के जन्म कल्याणक महोत्सव के अवसर पर आयोजित ‘वीर श्राविका सम्मान समारोह’ में बड़वानी की महिलाओं को सम्मानित किया गया।
- सम्मानित महिलाएं: सपना मनीष जैन, जितेंद्र नीना गोधा, और प्रवीणा लोकेश पहाड़िया को उनकी सेवा भावना, कर्तव्यनिष्ठा और समाज तथा संतों के प्रति उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए यह सम्मान मिला।
- सम्मान: इन तीनों को परम पूज्य आर्यिका विकुंदन श्री माताजी के शुभ हाथों से प्रशस्ति पत्र और पारितोषिक देकर सम्मानित किया गया।



