बड़वानी।
शासकीय आदिवासी नवीन संयुक्त सीनियर बालिका छात्रावास, कैलाश नगर बड़वानी की छात्राएँ आज भी असुरक्षा के माहौल में रह रही हैं। 9 जुलाई 2025 को भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) ने कलेक्टर बड़वानी को आवेदन देकर छात्रावास परिसर पर हुए अतिक्रमण को हटाने की मांग की थी, लेकिन लगभग चार महीने बीत जाने के बावजूद प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।
छात्र संगठन ने बताया कि छात्रावास परिसर की जमीन पर कैलाश नगर के कुछ लोगों द्वारा पक्के मकान बनाकर अवैध कब्जा कर लिया गया है। इसके बावजूद न तो जनजातीय कार्य विभाग ने और न ही जिला प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है।
छात्राओं ने जताई चिंता – “हॉस्टल के बाहर खड़े रहते हैं ट्रैक्टर, हमें डर लगता है”
आज NSUI पदाधिकारियों ने छात्रावास पहुँचकर छात्राओं से चर्चा की। छात्राओं ने बताया कि हॉस्टल के बाहर कई महीनों से ट्रैक्टर और वाहन खड़े रहते हैं, जिन पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा है।
एक छात्रा ने बताया —
“हम रोज़ डर के माहौल में रहते हैं। हॉस्टल के बाहर लोग बैठते हैं, ट्रैक्टर खड़े रहते हैं। जब हम बाहर निकलते हैं तो वे हमें देखते रहते हैं। हमने कई बार वार्डन मैडम से कहा, पर उन्होंने बस इतना कहा कि मैं बात कर रही हूँ, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।”
छात्राओं का कहना है कि अब हॉस्टल से बाहर निकलने में भी डर लगता है। परिसर में सुरक्षा के कोई इंतज़ाम नहीं हैं। छात्रावास की खुली भूमि पर अतिक्रमणकारियों द्वारा कब्जा कर मकान बना लिए गए हैं, जिससे छात्राओं के खेलने और खुले में बैठने की जगह पूरी तरह खत्म हो चुकी है।
9 जुलाई को दिया गया था आवेदन, लेकिन कार्रवाई अब तक शून्य
प्राप्त जानकारी के अनुसार, 9 जुलाई 2025 को NSUI बड़वानी द्वारा कलेक्टर महोदय को एक लिखित आवेदन सौंपा गया था, जिसकी प्रतिलिपि सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग को भी दी गई थी। आवेदन में स्पष्ट रूप से बताया गया था कि सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा है और यह छात्राओं की सुरक्षा के लिए खतरा है।
संगठन ने मांग की थी कि —
1️⃣ अतिक्रमण की जांच कर कब्जा हटाया जाए।
2️⃣ परिसर की चारदिवारी एवं तारफेंसिंग की व्यवस्था की जाए।
3️⃣ दोषियों पर कानूनी कार्रवाई हो।
लेकिन प्रशासन की ओर से न कोई निरीक्षण हुआ, न जनसुनवाई, केवल “कागज़ी कार्यवाही” चल रही है।
NSUI का आरोप — प्रशासन मौन, छात्र परेशान
NSUI बड़वानी के पदाधिकारियों ने कहा कि उन्होंने इस मामले में कई बार अधिकारियों से बात की, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिला।
छात्र नेता बादल गिरासे ने कहा —
“चार महीने से आवेदन देने के बावजूद आज तक न तो कोई अधिकारी मौके पर पहुँचा और न ही कोई रिपोर्ट बनाई गई। छात्राएँ असुरक्षित महसूस कर रही हैं और प्रशासन मौन है। अगर कोई अनहोनी होती है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।”
संगठन का कहना है कि विभाग के अधिकारियों ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया है। जनजातीय बालिका छात्रावास, जो छात्राओं के लिए सुरक्षित और शिक्षाप्रद वातावरण का केंद्र होना चाहिए था, आज असुरक्षा और अव्यवस्था का प्रतीक बन चुका है।
सरकार के नारे पर उठे सवाल – “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ… लेकिन कैसे?”
छात्राओं ने कहा कि सरकार “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” का नारा देती है, लेकिन जब छात्राओं की सुरक्षा खतरे में हो और प्रशासन कार्रवाई न करे, तो यह नारा केवल कागज़ों में रह जाता है।
एक छात्रा ने कहा —
“सरकार कहती है कि बेटियों को पढ़ाओ, लेकिन जब हम हॉस्टल में ही सुरक्षित नहीं हैं तो कैसे पढ़ें? बाहर डर लगता है, कोई सुनने वाला नहीं।”
वार्डन की उदासीनता भी सवालों के घेरे में
छात्राओं ने बताया कि उन्होंने वार्डन से कई बार शिकायत की, लेकिन उन्होंने केवल आश्वासन दिया और आगे कोई ठोस कदम नहीं उठाया। छात्राओं ने कहा कि अब वे इस मामले को छात्र संगठन के माध्यम से प्रशासन तक पहुँचाना चाहती हैं क्योंकि कई महीनों से अंदरूनी शिकायतों का कोई असर नहीं हुआ।
NSUI की चेतावनी – जल्द कार्रवाई नहीं तो होगा आंदोलन
NSUI ने चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन शीघ्र अतिक्रमण नहीं हटाता और छात्राओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं करता, तो संगठन जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन करेगा।
बादल गिरासे ने कहा —
“हमारी बेटियाँ डर के माहौल में पढ़ाई कर रही हैं। प्रशासन और विभाग को तत्काल एक्शन लेना चाहिए। अगर आज कार्रवाई नहीं हुई तो NSUI सड़क पर उतरेगी।”
जनजातीय कार्य विभाग की भूमिका संदिग्ध
सूत्रों के अनुसार, विभागीय स्तर पर आवेदन मिलने के बावजूद कोई निरीक्षण नहीं किया गया है। विभागीय अधिकारी केवल रिपोर्ट बनाकर आगे भेजने की बात कर रहे हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर अतिक्रमण जस का तस बना हुआ है।
NSUI ने कहा कि यह मामला केवल अतिक्रमण का नहीं, बल्कि जनजातीय छात्राओं की सुरक्षा, शिक्षा और सम्मान से जुड़ा मुद्दा है।
स्थानीय लोगों ने भी जताई नाराज़गी
स्थानीय नागरिकों ने भी प्रशासन की चुप्पी पर नाराज़गी जताई है। उनका कहना है कि सरकारी संस्थानों की भूमि पर अवैध कब्जे की घटनाएँ बढ़ रही हैं और अधिकारी समय रहते रोकथाम नहीं कर रहे।
📍 तथ्य सारांश:
स्थान: कैलाश नगर, बड़वानी
संस्थान: शासकीय आदिवासी नवीन संयुक्त सीनियर बालिका छात्रावास
आवेदन तिथि: 9 जुलाई 2025
मुद्दा: अवैध कब्जा, सुरक्षा संकट, प्रशासन की निष्क्रियता
संगठन: भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI), बड़वानी
मुख्य माँगें: अतिक्रमण हटाना, चारदिवारी निर्माण, छात्राओं की सुरक्षा
तारीख: 28 अक्टूबर 2025
यह मामला न केवल एक छात्रावास की जमीन पर अतिक्रमण का है, बल्कि यह प्रशासनिक संवेदनशीलता और छात्राओं की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो यह “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” जैसे अभियानों की साख पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा करेगा।
“बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” के नारे पर सवाल — कैलाश नगर आदिवासी बालिका छात्रावास पर अतिक्रमण, 9 जुलाई को दिए आवेदन के बाद भी कार्रवाई नहीं



