बड़वानी।
स्कूल शिक्षा विभाग और जनजातीय कार्य विभाग द्वारा लागू की गई जीपीएस (GPS) और फेस रिकॉग्निशन आधारित ई-अटेंडेंस व्यवस्था को वेतन प्रणाली से जोड़े जाने के विरोध में प्रदेश भर के शिक्षकों में भारी रोष है। इसी क्रम में आज (14 अक्टूबर 2025) बड़वानी जिले के शिक्षकों ने एकजुटता दिखाते हुए बाइक रैली निकाली और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन तहसीलदार हितेंद्र भावसार को सौंपा।
नेशनल मूवमेंट ऑफ ओल्ड पेंशन के जिलाध्यक्ष शैलेन्द्र जाधव के नेतृत्व में सौंपे गए ज्ञापन में शिक्षकों ने मांग की है कि इस अव्यावहारिक व्यवस्था पर तत्काल रोक लगाई जाए और सारे एप बंद कर शिक्षकों को पूरी तरह से पढ़ाने देने पर ध्यान केंद्रित किया जाए।
विरोध के मुख्य कारण और तर्क:
शिक्षक संगठनों ने इस व्यवस्था को अव्यावहारिक बताते हुए कई गंभीर मुद्दे उठाए हैं:
- अव्यावहारिक अनिवार्यता: अध्यापक संयुक्त मोर्चा जिलाध्यक्ष कसरसिंह सोलंकी ने कहा कि शिक्षक ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में रहते हैं, जहाँ न आवास है और न ही रहने का माहौल। उन्हें शैक्षणिक दायित्वों के अलावा आधार कार्ड, बैंक खाता, समग्र आईडी, अपार आईडी जैसे दर्जनों गैर-शैक्षणिक कार्य बिना टीए-डीए के करने पड़ते हैं। ऐसे में ठीक शाला खुलने और बंद होने के समय अटेंडेंस लगाना व्यावहारिक नहीं है।
- तकनीकी विफलता: नेशनल मूवमेंट ऑफ ओल्ड पेंशन के कार्यकारी अध्यक्ष यशवंत चौहान ने बताया कि नेटवर्क, गलत लोकेशन और फेस रिकॉग्निशन की समस्या के कारण शिक्षक प्रार्थना और प्रथम कालखंड को छोड़कर मोबाइल से अटेंडेंस लगाने में ही लगे रहते हैं, जिससे पढ़ाई बाधित होती है।
- निजी मोबाइल का उपयोग: महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष विनीता मुलेवा ने सवाल उठाया कि ई-अटेंडेंस शिक्षकों को अपने एंड्रॉइड मोबाइल से लगानी पड़ रही है, जिसके लिए कोई मोबाइल भत्ता नहीं दिया जाता है। मोबाइल के डिस्चार्ज होने, खराब होने या भूल जाने पर शिक्षक की उपस्थिति पर सवाल खड़ा हो जाएगा।
- गुणवत्ता से विमुखता: ट्राइबल वेल्फेयर के संभागीय उपाध्यक्ष अशोक कुशवाह ने कहा कि ई-अटेंडेंस व्यवस्था का शिक्षा गुणवत्ता से कोई संबंध नहीं है। आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय के पत्र से स्पष्ट है कि जो विद्यालय एप से हाजिरी लगाएंगे, उनका निरीक्षण उच्चाधिकारियों की अनुमति के बिना नहीं किया जाएगा। इससे यह संदेश जा रहा है कि पढ़ाई-लिखाई के बजाय एप से हाजिरी को अधिक महत्व दिया जा रहा है, और प्राचार्य का नियंत्रण भी शिक्षकों पर कम हो जाएगा।
- एप की विश्वसनीयता पर प्रश्न: शिक्षक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राकेश बच्चन ने ‘हमारे शिक्षक एप’ की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगाया। उन्होंने कहा कि डाटा लीक और ठगी के समाचार रोज प्रसारित हो रहे हैं, लेकिन विभाग ने एप की विश्वसनीयता की कोई जिम्मेदारी नहीं ली है, इसलिए शिक्षक इसे डाउनलोड करने का जोखिम नहीं लेना चाहते हैं।
- पूर्व मुख्यमंत्री का मत: राज्य शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राधेश्याम यादव ने याद दिलाया कि 2 अप्रैल 2018 को इसी तरह की एमशिक्षा मित्र अटेंडेंस व्यवस्था को पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने 1 अप्रैल 2018 को ‘अपमानजनक शर्त’ कहकर तत्काल रोक लगा दी थी।
शिक्षकों ने मांग की है कि वर्तमान ई-अटेंडेंस व्यवस्था किसी भी प्रकार से उपयुक्त नहीं है और इसे तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए। ज्ञापन सौंपने वालों में प्रमुख रूप से हेमेंद्र मालवीय, राकेश भट्ट, अजय रघुवंशी, धर्मेंद्र मंडलोई, श्याम भावसार, संजय यादव, मुबारिक मंसूरी, वीरेंद्र राठौड़, अन्जुला राठौड़, वर्षा गुप्ता, फिरोज खान, मालती वर्मा, सीमा तोमर सहित कई अन्य शिक्षक शामिल रहे।



